निरागस सी हंसी उसकी,
मुस्कान बच्चों जैसी,
आँखों में ख़ुशी यूं छलकती.
होठों पर हल्की मुस्कान,
बातों में थी एक कशिश,
इस लड़की की बात थी अलग.
जहाँ वो जाती है, खुशियों की लहर बहती है,
लोग जाम उठाना भूल जाते हैं,
और वो यूँही चल देती,
नज़रें उसपे ही टिकी थी सबकी।
घर की जान थी वो,
पापा की शान, माँ की दुलारी,
कदम नहीं थकते उसके,
राज़ की बात बताओ वो कौन है?
वो हो तुम - घर की परी!
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