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Thursday, 5 August 2021

Tooti-footi khwahishein

Dedicated to all the broken souls whose dreams died a premature death.


आज वो गहरी निद्रा में समा गई,
कभी ना उठे, ऐसी निद्रा में चली गई।
अंगिनत सपने उसके भी,
ख़ूबसूरत थे, रंगीन थे।
फिर से दफन हुए उसके सपने, उसकी वो मासूम ख्वाहिशें!

खो गई वो खामोशियों में,
अंधेरी गुफ़ाओं के कोने में सिमट चुकी थी।
रोशनी से कतराती थी,
खिड़की से सिर्फ अँधेरा ही नज़र आता है।
पानी की बूंदें टपकी एक-एक कर,
गहनों में समाति गई वो,
डूब रही थी धीरे-धीरे,
शरीर शांत हुआ, सांसें रुक गईं,
आख़िर वो निद्रा में खो ही गई।
दब गयी ख्वाहिशें, दब गयी आवाज़,
चीखती रही, चिल्लाती रही वो,
खामोशियों में खो गई वो.
आज फिर एक लड़की, एक माँ की मौत हुई!