आज वो गहरी निद्रा में समा गई,
कभी ना उठे, ऐसी निद्रा में चली गई।
अंगिनत सपने उसके भी,
ख़ूबसूरत थे, रंगीन थे।
फिर से दफन हुए उसके सपने, उसकी वो मासूम ख्वाहिशें!
खो गई वो खामोशियों में,
अंधेरी गुफ़ाओं के कोने में सिमट चुकी थी।
रोशनी से कतराती थी,
खिड़की से सिर्फ अँधेरा ही नज़र आता है।
पानी की बूंदें टपकी एक-एक कर,
गहनों में समाति गई वो,
डूब रही थी धीरे-धीरे,
शरीर शांत हुआ, सांसें रुक गईं,
आख़िर वो निद्रा में खो ही गई।
दब गयी ख्वाहिशें, दब गयी आवाज़,
चीखती रही, चिल्लाती रही वो,
खामोशियों में खो गई वो.
आज फिर एक लड़की, एक माँ की मौत हुई!
Hey Priya loved it! Was a bit startled to read a hindi poetry in English script. But lovely. Why don't you type in Hindi ? Achha lagega
ReplyDeleteHey Meera, thank you so much for appreciating my poem! Unfortunately I am not comfortable typing in hindi. Can write on paper but not type :)
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