Tuesday, 30 December 2025

Ye kaisa Ishq hai!


तुम आए थे जैसे कोई दुआ
बिना माँगे, बिना आवाज़ किए—
और मेरे दिल में जगह बना ली
एक हल्की-सी मुस्कान की तरह।

तेरी बातों में एक सुकून था,
तेरे आने से घर जैसा महसूस हुआ।
हर शाम तेरी, हर सुबह तेरी—
मानो मेरी पूरी दुनिया तुमसे शुरू होकर
तुम पर ही खत्म होती थी।

पर प्यार भी कभी-कभी थक जाता है,
बिना वजह, बिना किसी शोर के।
हमारे बीच जो धड़कनें थीं
वो एक दिन चुपचाप धीमी पड़ गईं।

तुम दूर होने लगे,
और मैं हर दिन टूटता रहा—
ये समझते हुए कि पकड़ना
हम दोनों को और दर्द देगा।

आज तुम नहीं हो,
पर मेरी छाती में एक जगह
अब भी तुम्हारे नाम की धड़कती है।
कभी-कभी यादों के दरवाज़े खोलकर
मैं तुम्हें चुपचाप देख लेता हूँ—
बिना शिकायत, बिना सवाल।

क्योंकि जो प्यार सच्चा होता है,
वो खत्म नहीं होता—
बस एक कोने में बैठकर
हमेशा-हमेशा रोशनी देता रहता है।


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